
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में बदलाव का उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव देखने को मिला है। इससे न केवल कृषि, पर्यटन, शिल्प व विनिर्माण के क्षेत्र के करों में आई कमी ने पहाड़ की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया, वहीं मैदानी क्षेत्रों में उद्यमिता को भी गति मिल रही है। इससे राज्य के पर्यावरण अनुकूल तथा उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने में भी मदद मिल रही है। केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी की दरों में जो बदलाव किया है, उसका सीधा असर यहां के कृषि क्षेत्रों में देखने को मिला है। इसके तहत पहाड़ी तोर दाल, उत्तरकाशी के लाल चावल और अल्मोड़ा की जीआइ टैग वाली लाल मिर्च की जीएसटी की दर 12 से घटाकर पांच प्रतिशत की गई है। तोर दाल उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों का अहम हिस्सा है। राज्य के सभी 13 जिलों में इसकी खेती होती है। जीएसटी की दर में कटौती से इसकी मांग बढऩे की संभावना है। लाल चावल पुरोला और मोरी की पहचान है। इसकी खेती से चार हजार व्यक्ति जुड़े हैं। अल्मोड़ा की जीआइ टैग वाली लखोरी मिर्च अपनी खास सुगंध व स्वाद के लिए जानी जाती है।
इन सभी उत्पादों में करों की कमी से इनके बाजार में प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद है। इससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। पर्यटन व होम स्टे को भी मिलेगा बढ़ावा पर्यटन उत्तराखंड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 13.57 प्रतिशत का योगदान देता है।










