उत्तराखंड चिन्हित आंदोलनकारी संयुक्त समिति यमुनाघाटी के पदाधिकारियों ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर शुक्रवार को नायब तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। समिति ने ज्ञापन के माध्यम से शीघ्र मांगों के निस्तारण की मांग की है। यमुनाघाटी अध्यक्ष बालगोविंद डोभाल ने बताया कि राज्य आंदोलनकारियों ने लम्बे संघर्ष और बलिदान के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण कराया, लेकिन आज भी कई मूलभूत मांगें अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि आगामी 3 व 4 नवम्बर 2025 को होने वाले विधानसभा के विशेष सत्र में इन मांगों पर विचार होना चाहिए। समिति की चार प्रमुख मांगो में ‘राज्य आंदोलनकारी’ शब्द को हटाकर ‘राज्य निर्माण सेनानी’ का दर्जा दिया जाए।आंदोलनकारी शब्द को गलत परिभाषित किया गया है, इसलिए इसे विधानसभा के विशेष सत्र में संशोधित किया जाए।, सभी आंदोलनकारियों को समान सम्मान पेंशन 20,000 प्रतिमाह दी जाए। अधिकांश आंदोलनकारी अब 60 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं, ऐसे में पेंशन की राशि बढ़ाई जानी चाहिए।, राज्य के सभी सरकारी गेस्ट हाउसों में आंदोलनकारियों को निशुल्क ठहरने की सुविधा दी जाए।, लंबित चिन्हीकरण प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए। जो आंदोलनकारी शासन के मानकों को पूरा करते हैं, उनका चिन्हीकरण कर यह प्रक्रिया स्थायी रूप से बंद की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना दिवस के 25 वर्ष पूर्ण होने (रजत जयंती वर्ष) के अवसर पर इन मांगों की स्वीकृति आंदोलनकारियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस मौके पर गणेश रमोला, राम प्रसाद रतूड़ी, सुरेंद्र सिंह, प्रताप सिंह, नरोत्तम सेमवाल, सोबन सिंह, चैन सिंह, नागेंद्र गौड़, बृजमोहन अग्रवाल, पूर्ण सिंह, राघवानंद, लक्ष्मी चन्द सहित दर्जनों लोग शामिल थे।









