प्रदेश के 25वें स्थापना दिवस पर दून में विभिन्न जिलों से पहुंचे लोग, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाएं, पारंपरिक परिधानों में सजधज कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रही थीं।जौनपुर, जौनसार, टिहरी, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी से लेकर नीती-माणा घाटी तक की महिलाओं ने अपने क्षेत्रीय परिधानों और आभूषणों से उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया। पिछौड़ा, लाल या पीले रंग का शुभ दुपट्टा, जिस पर स्वास्तिक और सूर्य जैसे मंगल प्रतीक बने होते हैं, कुमाऊंनी संस्कृति का अहम प्रतीक रहा। वहीं अंगरा और सारोंग ने ठंडे पहाड़ी मौसम में परंपरा और सौंदर्य का संगम दिखाया










